shila devi temple jaipur, शील्ला माता का मंदिर ओर घूमने की जानकारी
यह मंदिर भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर दुर्ग मे स्थित एक प्रमुख मंदिर है ।
यह मंदिर आमेर के प्रमुख मंदिरो मे से एक है । शीला माता के इस मंदिर का निर्माण किसने करवाया ।
शीला देवी मंदिर का इतिहास क्या है । शीला देवी मंदिर की जानकारी ।
आमेर की शीला देवी मंदिर तक केसे पहुचे ।
शीला माता के मन्दिर से जुड़ी पूरी जानकारी पाने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।
शीला माता के मन्दिर का निर्माण किसने करवाया – शीला माता के मन्दिर की स्थापना सवाई मानसिंह द्वारा की गई थी
ऐसा माना जाता है की आमेर की शीला देवी जयपुर के कछवाह शासको की कुल देवी है .ओर इस माता के मंदिर मे लक्कि मेले का आयोजन होता है जो की बहुत प्रसिद्ध हैओर इस मेले मे पूरे देश से लोगो की बड़ी भीड़ माता के दर्शन के लिए आती है । शीला माता की मूर्ति के पास श्री गणेश ओर मीणाओ की कुलदेवी हिंगला माता की मूर्तिया भी स्थापित है ।
ऐसा माना जाता है की यहाँ पर पहले मीणाओ का राज होता था ओर नवरात्रो मे यहाँ पर दो मेलो का आयोजन किया जाता था ओर देवी को प्रसन करने के लिए पशु की बाली दी जाती थी ।
शीला माता का मंदिर कहाँ पर है, Where is sheela mata temple
शीला देवी का यह मंदिर आमेर दुर्ग के महल मे ज्लेब चोक के द्क्षिणी भाग का ऐतिहासिक मंदिर है ।इस माता को जयपुर के शासको की कुल देवी भी माना जाता है । माता का यह मंदिर ज्लेब चोक से ऊपर है ओर मंदिर तक पहुचने के लिए कुछ सीढ़िया चढ़नी पड़ती है । शीला देवी को अम्बा माता का रूप ही माना जाता है की आमेर का नाम इस अम्बा माता के नाम पर ही अम्बर पड़ा था जो की बाद मे आंबेर या आमेर हो गया ।
माता की मूर्ति शीला के रूप मे होने के कारण इस माता को शीला माता कहाँ गया ।
शीला देवी मंदिर की स्थापत्य कला, Architecture of Sheela Devi Temple
माता का यह मंदिर संगमरमर के पत्थरो से बना हुआ है ।मंदिर के दरवाजे प्रति दिन भोग लगने के बाद ही खुलते है । ओर इस मंदिर मे प्रसाद के तोर पर नारियल व गुजियाँ चढ़ाये जातेहै ।
शीला देवी मंदिर की मान्यता, Recognition of Sheela Devi Temple
यह माना जाता है की इस माता की मूर्ति का मुख टेड़ा हैमाता की इस मूर्ति को जयपुर के महाराजा मानसिंह बंगाल के शासक केदार को हराकर आमेर लेकर आए थे ।ओर आमेर मे शीला देवी का मंदिर बनवाकर इस मूर्ति की स्थापना कारवाई ।
माता के इस मंदिर व मूर्ति को लेकर बहुत सी कथाये व कीवदँतिया है
कुछ लोगो का यह मानना है की यह मूर्ति बंगाल के समुद्र तट पर पड़ी हुई थी जिसे महाराजा मानसिंह ने समुद्र से निकालकर आमेर लेकर आए थे । देवी की यह मूर्ति एक शिला के रूप मे थी जिसका रंग काला था । ओर मनसिंह ने इस शिला पर माता का चित्र बनवाकर आमेर महल मे स्थापित करवाया था ।
शीला माता का मेला, Fair of sheela mata
शीला देवी का मेला वर्ष मे दो बार आयोजित किया जाता है । चेत्र ओर आशविन के नवरात्रो मे ओर माता के मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है । ओर माता का विशेष श्रंगार किया जाता है । माता को प्रसन करने के लिए पशु बाली दी जाती थी । मंदिर की पूरी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी पुलिश अधिकारियों को होती है । माता के मेन मंदिर के दर्शन करने के बाद बीच मे भेरव मंदिर के दर्शन करने पर ही यात्रा सफल मानी जाती है ।
भेरव दर्शन क्यो करने आवश्यक है, Why it is necessary to have Bhairav Darshan
जब माता ने भेरव का वध किया तब भेरव ने माँ को परणाम करके माता से क्षमा मागी ।तब करुणा मई माता ने भेरव को यह वरदान दिया की जब भी कोई भक्त मेरे दर्शन करने आएगा तो तुम्हारे भी दर्शन करेगा ।ओर तुम्हारे दर्शन करने के बाद ही उनकी यात्रा सफल होगी ।

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