LPG ग्राहकों के लिए यह बहुत काम की खबर
LPG ग्राहकों के लिए यह बहुत काम की खबर है। कई बार लोगों को कुछ योजनाओं व सुविधाओं का लाभ केवल इसलिए नहीं मिल पाता है क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं होती है।अभी भी बहुत से लोगों को LPG सिलेंडर से जुड़ी योजनाओं के बारे में पता नहीं है। ऐसी ही एक योजना है LPG Cylinder पर मिलने वाले Insurance बीमा जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
LPG सिलेंडर से जो दुघर्टनाएं होती हैं, उसके क्लेम स्वरूप पीडि़तों को बीमा कवर दिया जाता है। लगभग सारी Oil Company ऑयल कंपनियां प्राथमिक रूप से अपने ग्राहकों को यह सुविधा निशुल्क प्रदान करती हैंं।
इन कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट पर भी दुघर्टना बीमा के संबंध में पूरी जानकारी विस्तार से दी गई है।
जानिये इसकी प्रक्रिया, नियम एवं शर्तें क्या हैं।
इंश्योरेंस का लाभ लेने के लिए अनिवार्य शर्त
घटनास्थल वाले आवास का पता पंजीकृत होना चाहिये। यह घटना जिस भी शख्स के साथ हुई हो, उसके परिवार वाले इसी नियम के दायरे में माने जाएंगे।
इसलिए अगर किसी के साथ सिलेंडर से जुड़ी दुर्घटना होती है तो उसे पूरी प्रक्रिया से गुज़रना होगा।
हादसा होने पर यह है क्लेम की प्रक्रिया
अगर आपके घर में LPG Gas Cylinder को लेकर कोई हादसा हो जाता है तो सबसे पहले आपको अपने LPG वितरक को इसकी सूचना देना होगी।
वह वितरक संबंधित कंपनी के अधिकारियों को इस घटना की जानकारी देगा।
आगे की प्रक्रिया वह खुद पूरी करेगा।
मान लीजिये दुघर्टना का प्रकार बड़ा है, यानी किसी की मृत्यु हो गई है तो संभव है कि इस स्थिति में आपसे घटना को लेकर पुलिस थाने में दर्ज की गई प्राथमिकी, कायमी की एक कॉपी, मृत्यु प्रमाण-पत्र भी मांगा जाए।
यदि हादसे में कोई घायल हो गया है तो ऐसे में इलाज का खर्च, अस्पताल का बिल, दवाइयों की पर्ची संबंधित तमाम दस्तावेज मांगे जा सकते हैं।
इन कागजों को जमा करके आवेदक बीमा क्लेम की राशि प्राप्त कर सकता है।
मृत्यु पर 50 लाख, घायल होने पर 40 लाख
इस स्थिति में आपका दावा निरस्त भी हो सकता है
अगर आपने LPG Gas Cylinder गैस सिलेंडर एक्सपायरी डेट Expiry date के बाद खरीदा है तो उस यह कोई क्लेम नहीं बनता। बीमा के लिए गारंटी का नियम एक्सपायर्ड सामान पर लागू नहीं होता है।
बेहतर होगा कि आप Gas Cylinder लेते समय उसकी एक्सपायरी डेट Expiry date जरूर जांच-परख लें। अक्सर लोग एक्सपायरी डेट को देखे बिना ही सिलेंडर ले लेते हैं।
ऐसे में जब हादसा हो जाता है तो कंपनियां ग्राहकों के क्लेम की फाइल खारिज कर सकती हैं।
बदल भी सकती है एक्सपायरी की डेट
करीब 5 फीसदी सिलेंडर एक्सपायर्ड या एक्सपायरी डेट के करीब होते हैं। ये बार बार रोटेट होते रहते हैं। सामान्य तौर पर एक्सपायरी डेट औसतन छह से आठ महीने एडवांस रखी जाती है।
चूंकि एक्सपायरी डेट पेंट से प्रिंट की जाती है, इसलिए इसमें हेर-फेर की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। जंग लगे हुए सिलेंडर पर भी एक्सपायरी डेट डेढ़-दो साल आगे की होती है।
सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जानने का यह है तरीका
जैसे, ‘ए’ ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च और ‘बी’ ग्रुप में अप्रैल मई जून होते हैं। ऐसे ही ‘सी’ ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर और ‘डी’ ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं।
एक्सपायरी या टेस्टिंग का महीना सिलेंडर पर लिखा Codeहै। आगे लिखा नंबर एक्सपायरी ईयर का होता है। जैसे, अगर आपके सिलेंडर पर ‘A-16’ लिखा है तो इसका अर्थ है कि एक्सपायरी डेट मार्च, 2016 है। ऐसे ही, ‘सी-16’ का अर्थ सितंबर, 2016 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल करना अब खतरनाक है।
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